हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।
सवाल :अगर कोई आदमी नमाज़े ज़ोहर से पहले नमाज़ फज्र की कज़ा की नियत से नमाज़ शुरू कर दे और दूसरी रकआत में भूले से तशहूद के बाद खड़ा हो जाए और तिसरी रकआत का ज़िक्र पढ़ें और रोकू से पहले याद आ जाएगी नमाज़ फज्र की नियत की थी तो क्या नियत को नमाजे जोहर में तब्दील कर सकता हैं।
उत्तर :नियत को कज़ा नमाज़ से अदा नमाज़ कि ओर तब्दील करना सही नहीं है और ऊपर बताए गए मसले में ज़रूरी है कि यह आदमी बैठ जाए और नमाज़ का सलाम बजा लाए और एहतियात ए मुस्तहब की बिना पर सलाम के बाद दो सजदे साहू बजा लाए